दिल्ली की एक अदालत ने एअर इंडिया फ्लाइट में एक महिला सहयात्री पर पेशाब करने के आरोपी शंकर मिश्रा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया. इस मामले में दिल्ली पुलिस रिमांड की मांग कर रही थी. कोर्ट ने पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया. इस दौरान मेट्रोपोलिटन कोर्ट की जज ने सख्त टिप्पणी भी की. पुलिस ने पूछताछ को लेकर तीन दिन के लिए आरोपी की हिरासत का अनुरोध करते हुए कहा कि क्रू मेंबर्स के तीन सदस्यों से पूछताछ हो गई है. दो पायलट और दूसरे सह-यात्रियों से भी पूछताछ की जानी है.
जज को दिल्ली पुलिस की इस दलील में कोई दम नहीं दिखा. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अनामिका ने आरोपी मिश्रा को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश पारित करते हुए कहा कि क्रू मेंबर्स और सहयात्रियों सहित अन्य गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए पुलिस को शंकर मिश्रा की हिरासत की आवश्यकता नहीं है. न्यायाधीश ने कहा, सिर्फ इसलिए कि जनता का दबाव है, ऐसा न करें. कानून का पालन करें.
कोर्ट ने खारिज की दिल्ली पुलिस की याचिका
आरोपी शंकर मिश्रा के वकील मनु शर्मा ने जमानत याचिका दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि पुलिस ने जो धाराएं लगाई हैं उनमे से सिर्फ एक ही गैरजमानती है बाकी सभी में जमानत है. जमानत याचिका पर विचार के लिए अदालत ने 11 जनवरी की तारीख निर्धारित की. जज ने कहा, उपरोक्त सभी कारणों के मद्देनजर… गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है. आरोपी की अनुपस्थिति में भी उनसे पूछताछ की जा सकती है. बयान दर्ज किए जा सकते हैं और उसकी पुलिस हिरासत की कोई जरूरत नहीं है.
जांच में आरोपी नहीं कर रहा सहयोग- कोर्ट
अदालत ने कहा कि सबूतों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने प्रथम दृष्टया जांच में सहयोग नहीं किया. न्यायाधीश ने कहा, रिकॉर्ड पर गौर करने से पता चलता है कि आरोपी जांच में शामिल होने से जानबूझकर बच रहा था. आगे की जांच करने के लिए चालक दल के सदस्यों के बयान दर्ज करने को लेकर उसकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है.
आरोपी की हिरासत की आवश्यकता क्यों?
दलीलों के दौरान, अदालत ने पुलिस से पूछा कि उसे आरोपी की हिरासत की आवश्यकता क्यों है. न्यायाधीश ने कहा, दूसरों से पूछताछ, पहचान के लिए उसकी (आरोपी) आवश्यकता नहीं है. सब पता चल गया है? उसकी हिरासत की आवश्यकता क्यों है? किसी और की गिरफ्तारी नहीं होनी है. पुलिस हिरासत का कोई आधार नहीं है. अदालत के इस सवाल पर कि क्या पुलिस मामले में किसी सह-आरोपी की उम्मीद कर रही है, वकील ने कहा कि चालक दल के सदस्यों ने स्थिति को सही से नहीं संभाला और वे भी कथित अपराध में सह-आरोपी थे.
आरोपी की जमानत याचिका
आरोपी की ओर से पेश वकील मनु शर्मा ने पुलिस की याचिका का विरोध करते हुए कहा, काफी शोर मचाया गया है. अगर घटना को सच मान भी लिया जाए तो मेरे मुवक्किल के सभी अपराध जमानती हैं. इस बीच, पुलिस ने शिकायतकर्ता की ओर से पेश एक वकील को FIR की एक प्रति यह कहते हुए सौंपने से इनकार कर दिया कि मामला काफी तूल पकड़ चुका है हम शिकायतकर्ता के अलावा किसी और को शिकायत की प्रति नहीं देना चाहते हैं.