जम्मू-कश्मीर के डोडा में जोशीमठ जैसी स्थिति पनप रही है. यहां के ठठरी तहसील के नई बस्ती गांव में जमीनें धंसने लगी हैं. यहां के कई घरों में दरारें आ गई हैं. दरारें आने के बाद 22 घर डैमेज हो गए. वहीं 300 लोग वहां से विस्थापित हुए हैं. गांव वालों को लगता है कि वे शैतान और गहरे समुद्र के बीच फंस गए हैं. उनलोगों ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से उनके पुनर्वास की अपील की है.
ठठरी के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट अतहर अमीन जरगर ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और लोगों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक और एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. हालांकि, उन्होंने डोडा के हालात की तुलना उत्तराखंड के जोशीमठ में हुई भू-धंसाव की घटना के साथ करने से इनकार किया.
शाजिया बेगम का दर्द- अब हम कहां जाएं?
शाजिया बेगम (38) नाम की एक महिला ने कहा, मैं गांव नहीं छोड़ना चाहती. अब हम कहां जाएंगे? हम बर्बाद हो गए हैं. हमने मजदूरी करके अपने बच्चों के लिए एक घर बनाया. हम सरकार से अपील करते हैं कि हमारे लिए कुछ करें. मेरा एक विकलांग बच्चा है. अब हम कहां जाएं? बता दें कि शाजिया का घर दरारों की वजह से डैमेज हो गया.
‘पिछले साल दिसंबर से ही घरों में आने लगी थीं दरारें’
वहीं, 40 साल के मोहम्मद अकरम ने बताया कि पिछले साल दिसंबर के आसपास करीब छह से सात घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थीं. उन्होंने कहा, ‘हमने इसे हल्के में लिया क्योंकि पहाड़ी इलाकों में हल्के भूकंप और पानी के कारण घरों में मामूली दरारें आ जाती हैं. हमने उन्हें ढकने के लिए सफेद सीमेंट लगाया लेकिन एक हफ्ते पहले ये चौड़ा होने लगा और और घरों में भी फैल गया. जमीन भी धंसने लगी.’
सरकार दे हमें मुआवजा
अकरम ने बताया कि आतंकवादियों से बचने के लिए डोडा के ऊपरी इलाकों से कई परिवार आए और इलाके में बस गए. उन्होंने आगे कहा, ‘हम 1990 के दशक में डोडा के ऊपरी इलाकों में उग्रवाद के कारण यहां आए थे. मेरे पिता के भाई को आतंकवादियों ने मार डाला था. हमने यहां आकर एक छोटा सा घर बनाया लेकिन अब सब कुछ जर्जर हो चुका है. मैं एक मजदूर हूं, रोजाना 300 रुपये कमाता हूं. मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि हमें हमारे घरों के निर्माण और हमारे जीवन के पुनर्निर्माण के लिए हमें पांच मरला प्लॉट और मुआवजा दें.’
हम जोशीमठ जैसे संकट से डरते हैं- ओवैस
गांव के 22 साल के युवक ओवैस ने कहा कि शायद भगवान उनसे नाराज थे. ओवैस ने कहा, ‘हम जोशीमठ जैसे संकट से डरते हैं. हम दिन-रात प्रार्थना कर रहे हैं कि भू-धंसाव आगे न फैले. हममें से कुछ लोग अपने घरों से कुछ बचाने के लिए खिड़की के शीशे और दरवाजे हटा रहे हैं क्योंकि यहां के लोग बहुत गरीब हैं और यहां डोडा में लकड़ी महंगी है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अभी तक प्रभावित परिवारों को किसी प्रकार के मुआवजे की घोषणा नहीं की है.
उपराज्यपाल ने दिया आश्वासन
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि कहा कि प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. इस पर करीबी से नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि सभी प्रभावित घरों को खाली करा लिया गया है और बहुत घबराने की आवश्यकता नहीं है. प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है और पुनर्वास के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे. वहीं उन्होंने कहा कि डोडा के नई बस्ती गांव में जोशीमठ जैसी स्थिति बिलकुल नहीं है.