दुबई टू अजनाला… अमृतपाल सिंह कैसे बन गया एक खतरनाक कट्टरपंथी नेता

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पंजाब पुलिस ने 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख और खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया है. जालंधर में उसके काफिले को रोकने की कोशिश की गई लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर भाग गया. हालांकि, पुलिस ने उसके संगठन 'वारिस पंजाब दे' के 78 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पिछले महीने अजनाला में एक पुलिस थाने पर हमला करने के बाद अमृतपाल पुलिस के निशाने पर था. 24 फरवरी को अमृतपाल के समर्थकों ने अजनाला थाने पर तलवार और बंदूकों से हमला कर दिया था. इस महीने की शुरुआत से ही पंजाब पुलिस उसे गिरफ्तार करने की प्लानिंग कर रही थी लेकिन वह गिरफ्तारी से बचता फिर रहा था. अजनाला कांड को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से साथ चर्चा की थी. इसके बाद से ही ऐसा लगने लगा था कि अमृतपाल की गिरफ्तारी अब जल्द से जल्द हो जाएगी. मगर वह शनिवार को पुलिस की गिरफ्त से भाग निकला. हालांकि, पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए जुटी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि उसकी गिरप्तारी आखिर कब तक हो पाती है. यह भी पढ़ें- पुलिस को चकमा देकर फरार हुआ अमृतपाल सिंह, लवप्रीत तूफान और रंजीत सिंह भी अंडरग्राउंड मगर इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि दुबई में रहने वाले 30 वर्षीय अमृतपाल सिंह कैसे एक कट्टरपंथी (खालिस्तान समर्थक) नेता बन गए. 'वारिस पंजाब दे' का चीफ बनने के बाद अमृतपाल सिंह अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देने लगा. वह खालिस्तान राज्य की मांग करने लगा. एक नजर डालते हैं उसके सफर पर...

फरवरी 2022 तक दुबई में था अमृतपाल

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह दरअसल पंजाब के अमृतसर के जल्लूपुर गांव का रहने वाला है. फरवरी 2022 तक अमृतपाल सिंह दुबई में रह रहा था. यहां वह अपने एक रिश्तेदार के ट्रांसपोर्ट बिजनेस में मदद कर रहा था. अमृतपाल सिंह कभी रूढ़िवादी सिख जीवन शैली का पालन नहीं किया. उन्होंने पहले कभी नहीं पगड़ी पहनी. बता दें कि पगड़ी को सिखों के मूलभूत प्रतीकों में से एक माना जाता था. वह फैंसी बाल कटवाता था. सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहता था.

दीप सिद्धू की मौत के बाद बदल गया सबकुछ

मगर 15 फरवरी 2022 के बाद सब कुछ बदल गया, जिस दिन पंजाबी एक्टर और तत्कालीन वारिस पंजाब डे प्रमुख दीप सिद्धू की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. दरअसल, दीप सिद्धू किसान आंदोलन के समय तब चर्चा में आया था, जब उसने लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराया था. इसके बाद वह खूब लाइमलाइट में रहा. दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में पंजाब के अधिकारों के लिए लड़ने और अपनी संस्कृति की रक्षा करने के लिए एक सामाजिक संगठन के रूप में 'वारिस पंजाब दे' की शुरुआत की थी.

29 सितंबर 2022 को बना 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया

29 सितंबर 2022 को मोगा जिले के रोड गांव में आयोजित एक समारोह में अमृतपाल सिंह को 'वारिस पंजाब दे' का अगला प्रमुख नियुक्त कर दिया गया. बता दें कि जरनैल सिंह भिंडरावाले का जन्म भी इसी गांव में हुआ था. हालांकि, दीप सिद्धू के रिश्तेदारों ने खुद को अमृतपाल सिंह से दूर कर लिया. वहीं, कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, अमृतपाल सिंह पर अलगाववादी प्रचार प्रसार के लिए संगठन का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया.

जरनैल सिंह भिंडरावाले की राह पर चला अमृतपाल

'वारिस पंजाब दे' प्रमुख की भूमिका संभालने के बाद अमृतपाल सिंह ने आनंदपुर साहिब में अमृत समारोह (खालसा परंपरा में दीक्षा) में भाग लिया. इस दौरान उसने खालिस्तानी विचारक और उनके प्रेरणास्रोत जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह कपड़े पहने और उसी अंदाज में अपनी तस्वीरें खिंचवाईं. अमृतपाल ने कई इंटरव्यू में खालिस्तान राष्ट्र की मांग को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि यदि कट्टरपंथी हिंदू राष्ट्र की मांग कर सकते हैं तो सिख राष्ट्र की मांग करने में कुछ भी गलत नहीं है.

अजनाला कांड

24 फरवरी को अमृतपाल के समर्थकों ने अजनाला थाने पर तलवार और बंदूकों से हमला कर दिया था. अमृतपाल के समर्थकों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए. पुलिस थाने में घुसकर तोड़ फोड़ मचाने लगे. इसके बाद पुलिस से यह आश्वासन लिया कि अपहरण के एक मामले में हिरासत में लिए गए उनके सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान को रिहा कर दिया जाएगा. इस दौरान झड़पों में छह पुलिसकर्मी घायल हो गए. इस घटना के अगले दिन लवप्रीत सिंह तूफान को रिहा कर दिया गया.

अमित शाह को दी धमकी

अमृतपाल सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दी थी. उसने कहा था कि इंदिरा गांधी जैसा हाल अमित शाह का भी होगा. इसके बाद उसने कहा कि अमित शाह ने कहा था कि वह खालिस्तान आंदोलन को बढ़ने नहीं देंगे. मैंने कहा था कि इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही किया था और अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको परिणाम भुगतने होंगे. अजनाला की घटना ने पंजाब पुलिस को विपक्षी दलों के दबाव में डाल दिया, क्योंकि घटना के एक हफ्ते बाद भी उसने अमृतपाल सिंह या उनके सहयोगियों के खिलाफ एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी.

अमृतपाल के 9 सहयोगियों के हथियारों के लाइसेंस रद्द

मार्च के पहले हफ्ते में पंजाब पुलिस ने आखिरकार अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई करते हुए उनके नौ सहयोगियों के हथियारों के लाइसेंस को रद्द कर दिए. दावा किया गया कि लाइसेंस आत्मरक्षा के लिए दिए गए थे और खालिस्तानी नेता को सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए नहीं दिए गए थे. वहीं, 18 मार्च को पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. पुलिस ने काफी देर तक पीछा करने के बाद जालंधर में उसके छह सहयोगियों को हिरासत में लिया. यह भी पढ़ें- धारा 144 लागू, चप्पे-चप्पे पर चेकिंग, अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षाबल अलर्ट

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