जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा 'आजाद' पर खूब हंगामा मचा हुआ है. इसमें उन्होंने गांधी परिवार के सदस्यों के साथ अपने संबंधों और सियासत से जुड़े कई सनसनीखेज दावे किए हैं. वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने नई दिल्ली में राहुल गांधी के साथ मुलाकात के बारे में आजाद के दावे को कल्पना करार दिया. दरअसल इस किताब और कई साक्षात्कार के दौरान भी गुलाम नबी आज़ाद ने यह दावा किया कि तत्कालीन कांग्रेस नेता हिमंत बिस्वा सरमा और उनके साथ अधिकांश विधायकों ने तरुण गोगोई के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. वहीं सोनिया गांधी चाहती थीं कि आजाद इस मामले को देखें. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी ने उन्हें नए नेता के रूप में हिमंत के औपचारिक चुनाव की बात कही और असम जाने के लिए कहा, लेकिन राहुल गांधी ने उनसे यात्रा रद्द करने और इसके बजाय अगली सुबह उनसे मिलने का अनुरोध किया. ये भी पढ़ें: Jairam on Azad: कांग्रेस से विश्वासघात, PM के लिए वफादारी, अपना स्तर गिरा रहे गुलाम नबी आजाद- जयराम रमेश नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब अगले दिन हम राहुल के आवास पर पहुंचे तो हमने तरुण गोगोई और उनके बेटे गौरव गोगोई को उनके साथ बैठे देखा. इस दौरान राहुल ने हमसे दो टूक कह दिया कि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा. जब हमने उन्हें बताया कि हिमंत के पास विधायकों का बहुमत है और वे बगावत करेंगे और पार्टी छोड़ देंगे. इस पर राहुल गांधी ने कहा, उसे जाने दो. कहानी पूरी तरह से कल्पना वहीं आजाद के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए गौरव गोगोई ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए मेरे संज्ञान में आया है कि गुलाम नबी आजाद ने दिल्ली में एक मुलाकात को लेकर मेरा और मेरे दिवंगत पिता का कुछ जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि कहानी पूरी तरह से कल्पना है और किताब को इसी रूप में प्रचारित किया जाना चाहिए. पीडीपी ने आजाद के दावे को किया खारिज दरअसल कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता आजाद ने अपनी नई किताब में यह भी दावा किया है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद 2002 में जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बातचीत के लिए दिल्ली आए थे. जिसे पीडीपी ने तुरंत खारिज कर दिया था. आजाद ने जो कहा उसमें तथ्य नहीं सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मुझे लगता है कि गुलाम नबी आजाद ने जो कहा उसमें तथ्य नहीं है. बताया जा रहा है कि आजाद का दावा है कि उनके साथ 42 विधायक थे. फिर उन्होंने सीधे जाकर (सरकार गठन का) दावा क्यों नहीं पेश किया.
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